A Review Of bhairav kavach
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इदं कवचमज्ञात्वा काल (काली) यो भजते नरः ।
ತಸ್ಯ ಧ್ಯಾನಂ ತ್ರಿಧಾ ಪ್ರೋಕ್ತಂ ಸಾತ್ತ್ವಿಕಾದಿಪ್ರಭೇದತಃ
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ನೇತ್ರೇ ಚ ಭೂತಹನನಃ ಸಾರಮೇಯಾನುಗೋ ಭ್ರುವೌ
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
दीप्ताकारं विशदवदनं सुप्रसन्नं त्रिनेत्रं
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ಭೀಷಣೋ ಭೈರವಃ ಪಾತೂತ್ತರಸ್ಯಾಂ ದಿಶಿ ಸರ್ವದಾ
कोटिजन्मार्जितं पापं तस्य नश्यति तत्क्षणात् ।
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